
राजस्थान ब्राह्मण महासभा, बांदीकुई आपका हार्दिक अभिनन्दन करती है |
ब्राह्मण
समाज का इतिहास प्राचीन भारत के वैदिक धर्म से आरंभ होता है| "मनु-स्मॄति" के
अनुसार आर्यवर्त वैदिक लोगों की भूमि है | ब्राह्मण व्यवहार का मुख्य स्रोत वेद हैं |
ब्राह्मणों के सभी
सम्प्रदाय वेदों से प्रेरणा लेते हैं | पारंपरिक तौर पर यह विश्वास है कि वेद अपौरुषेय (किसी
मानव/देवता ने नहीं लिखे) तथा अनादि हैं, बल्कि अनादि सत्य का प्राकट्य है जिनकी वैधता
शाश्वत है | वेदों
को श्रुति माना जाता है ( श्रवण हेतु, जो मौखिक परंपरा का द्योतक है) |
ब्राह्मण
शास्त्रज्ञों में प्रमुख हैं अग्निरस, अपस्तम्भ, अत्रि, बॄहस्पति, बौधायन, दक्ष, गौतम, वत्स, हरित, कात्यायन, लिखित, मनु, पाराशर, समवर्त, शंख, शत्तप, ऊषानस, वशिष्ठ, विष्णु, व्यास, यज्ञवल्क्य तथा यम |
ये इक्कीस ऋषि
स्मॄतियों के रचयिता थे | स्मॄतियां में सबसे प्राचीन हैं अपस्तम्भ ,
बौधायन , गौतम तथा वशिष्ठ |